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योग क्यों जरूरी है, फुल जानकरी ( Yog Kiyo Jaruri Hai,Full Jankari )

योग’ या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना के मिलन का भी प्रतीक है, जो मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच एक पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है। योग के अभ्यास का उल्लेख ऋग्वेद और उपनिषदों में भी मिलता है।

योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना। योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है।पतंजलि का योगसूत्र (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व), योग पर एक आधिकारिक ग्रंथ है और इसे शास्त्रीय योग दर्शन का एक मूलभूत ग्रंथ माना जाता है।

योग, हिंदू दर्शन ( Yog , Hindu Darshan )

योग, हिंदू दर्शन के षड्दर्शन में से एक है। ये 6 दर्शन – सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त के नाम से जाने जाते हैं। इन दर्शनों के प्रणेता पतंजलि, गौतम, कणाद, कपिल, जैमिनि और बादरायण माने जाते हैं। इन दर्शनों के आरंभिक संकेत उपनिषदों में भी मिलते हैं।

योग कब आया ( Yog Kab Aya )

बुद्ध के पूर्व एवं प्राचीन ब्रह्मिनिक ग्रंथों मे ध्यान के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिलते हैं, बुद्ध के दो शिक्षकों के ध्यान के लक्ष्यों के प्रति कहे वाक्यों के आधार पर वय्न्न यह तर्क करते है की निर्गुण ध्यान की पद्धति ब्रह्मिन परंपरा से निकली इसलिए उपनिषद् की सृष्टि के प्रति कहे कथनों में एवं ध्यान के लक्ष्यों के लिए कहे कथनों में समानता है। यह संभावित हो भी सकता है,

नहीं भी.योग अंतर्गत तपस्वियों तपस (संस्कृत) के बारे में ((कल | ब्राह्मण)) प्राचीन काल से वेदों में (९०० से ५०० बी सी ई) उल्लेख मिलता है, जब कि तापसिक साधनाओं का समावेश प्राचीन वैदिक टिप्पणियों में प्राप्त है।कई मूर्तियाँ जो सामान्य योग या समाधि मुद्रा को प्रदर्शित करती है, सिंधु घाटी सभ्यता (सी.3300-1700 बी.सी. इ.) के स्थान पर प्राप्त हुईं है।

पुरातत्त्वज्ञ ग्रेगरी पोस्सेह्ल के अनुसार,” ये मूर्तियाँ योग के धार्मिक संस्कार” के योग से सम्बन्ध को संकेत करती है।यद्यपि इस बात का निर्णयात्मक सबूत नहीं है फिर भी अनेक पंडितों की राय में सिंधु घाटी सभ्यता और योग-ध्यान में सम्बन्ध है

योग के लाभ ( Yog Ke Lagh )

  • मन की शांति
  • तनाव मुक्त जीवन
  • शरीर की थका
  • योग से रोग मुक्त शरीर
  •  वजन पर काबू

मन की शांति ( Man ki skati )

तनाव से राहत देता है और बेहतर नींद लाता है, भूख और पाचन को बढ़ाता है। यह दिमाग को हमेशा शांत रखता है।बल्कि यह हमारे दिमाग को शांत रखने में भी मदद करता है।

चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है कि योग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

तनाव मुक्त जीवन ( Tanaw mukt Jiwan )

योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं तो आप तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि आज हर दूसरा व्यक्ति तनाव में है

शरीर की थका ( Sarir ki thaka )

जब हम योग करते हैं तो मांसपेशियों में खिंचाव, मरोड़, मरोड़ और खिंचाव जैसी कई क्रियाएं होती हैं। इससे हमारे शरीर की थकान दूर होती है और हम हमेशा तरोताजा महसूस करते हैं। यदि आप नियमित रूप से योग करते हैं तो आपके शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।

योग से रोग मुक्त शरीर ( Yog se rog mukt sarir )

योगा से शरीर को स्वस्थ बनाता है, यह हमें रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। हृदय रोग, मधुमेह और अस्थमा जैसी कई अन्य बीमारियों के लिए योग की सलाह दी जाती है।

योग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और श्वसन संबंधी विकारों को भी दूर करता है। इसलिए अगर आप रोजाना योग करेंगे तो आप स्वस्थ रहेंगे।

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वजन पर काबू ( Wajan par kabu )

योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करके हम मोटापे को नियंत्रित कर सकते हैं। योग करने से शरीर लचीला बनता है।यह हमारी मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करता है। यह हमारे पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है। योग फिट रहने का एक बेहतरीन तरीका है।

योग से सावधानियां ( Yog se sawdaniya )

स्वस्थ व्यक्ति योग को एक योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करता है, तो इसे एक सुरक्षित शारीरिक क्रिया माना जाता है।अन्य शारीरिक क्रियाओं की तरह योग करने पर भी मोच या चोट जैसी कुछ शारीरिक क्षति हो सकती हैं। योग में ज्यादातर मांसपेशियों में मोच व खिंचाव जैसी समस्या होती हैं,

जिसमें अधिकतर घुटने, टखने और टांग के निचले हिस्से ही प्रभावित होते हैं। यह भी सच है कि व्यायाम व अन्य खेल-कूद की गतिविधियों कि तुलना में योग करते समय चोट लगने वाला खतरा काफी कम होता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर का संतुलन प्रभावित होने लगता है और मांसपेशियां भी कमजोर पड़ जाती है।

ऐसे में योग आदि करते समय विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। जिन लोगों की उम्र 65 वर्ष से अधिक है, उनमें योगासन संबंधी चोट लगने के मामले सबसे अधिक देखे गए हैं। आप निम्न बातों का ध्यान रखकर योग के दौरान क्षति होने के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं योग सिखाने वाले एक योग्य प्रशिक्षक की मार्गदर्शन में ही योगाभ्यास करें।

जब तक आप योगमुद्रा को पूरी तरह से सीख न जाएं खुद उसे ट्राइ न करें, ऐसा करने से मांसपेशियों में खिंचाव व मोच आने का खतरा बढ़ जाता है।यदि शीर्षासन, सर्वांगासन और पद्मासन जैसे योगासन न करें और न ही तेजी से गहरी सांस लें। इन सभी योग मुद्राओं को विशेष तकनीक और निरंतर अभ्यास के साथ सिखाया जाता है।हॉट योगा से गर्मी लगने और शरीर में पानी की कमी होने जैसे जोखिम जुड़े होते हैं।

इसे हमेशा एक्सपर्ट की सलाह से ही किया जाना चाहिए।गर्भवती महिलाएं, वृद्ध लोगों या जिन्हें कोई रोग है उन्हें योग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर और योगा इंस्ट्रक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

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