Chhath Puja डेट्स – सनातन धर्म में सभी चीज़ो की पूजा किया जाता है , उसी में से छठ पूजा सूर्य देव् और छठी मैया को किया जाता है । सूर्य देव् को जीवनदाता माना जाता है और छठी मैया को संतान की देवी कहा जाता है , इस पर्व के माधयम से लोग प्रकति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते है , छठ पूजा में सूर्य , जल और वायु इस तीनो तत्वों की पूजा किया जाता है । इस बार तो बहुत ही कन्फ्यूजन है , लोग तो इस बार दिवाली भी दो दिनों के लिए मनाया जा रहा है कुछ लोग तो 2024 में दिवाली 31 को भी मनाएंगे और कुछ लोग तो 1 तारिक को भी मनाएंगे । इसलिए लोगो को बहुत ही कन्फ्यूजन है छठ पूजा को लेकर इस बार छठ पूजा सूर्य उदय तिथि के अनुशार , छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिने गुरुवार को ही माने जायेगा छठ पूजा सपन करने के लिए इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जायेगा इसके बाद वर्त का पारण किया जायेगा इस साल 2024 में 7 नवंबर दिन गुरुवार को सुबह ( पूर्वाहन ) 12 बजकर 41 मिन्ट्स पर शुरू होगी और इसके बाद 8 नवंबर दिने शुक्रवार को सुबह ( पूर्वाहन ) 12 बजकर 24 मिन्ट्स पर समाप्त हो जाएगी । इस पर्व को खासतौर पर विहार , झारखण्ड और उतर पदेश के कुछ जिलों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है , इस पर्व में महिलाए और पुरुष वर्त रखते है । और इसमें सूर्य देव् को अर्घ्य दिया जाता है । छठ पूजा करने के दिन-
- 5 नवंबर 2024 छठ पूजा का पहला दिन -( नहाय खाय )
- 6 नवंबर 2024 छठ पूजा का दूसरा दिन – ( खरना )
- 7 नवबंर 2024 छठ पूजा का तीसरा दिन – ( संध्या अर्घ्य )
- 8 नवबंर 2024 छठ पूजा का चौथा दिने -( उषा अर्घ्य )
छठी मैया पूजा में कब से सुरु होता है निर्जला वर्त
छठ पूजा का निर्जला वर्त नहाय खाय और खरना के बाद होता है , छठ पूजा के लिए नहाय खाय की प्रकिया कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुरू होगी यानी 5 नवंबर को है , इसके बाद खरना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पचमी तिथि यानी 6 नवंबर को खरना पड़ रहा है । दिन भर निर्जला वर्त करने के बाद शाम में वर्ती महिलाये छठी मैया की पूजा करती है , प्रसाद ग्रहण करती है , इसी के बाद से लगभग 36 घंटे का निर्जला वर्त शुरू हो जाता है ।
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निर्जला वर्त 36 घंटे का होता है
निर्जला वर्त 36 घंटे का होता है , हिन्दू धर्म में छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देव की विधि – विधान से पूजा की जाती है , सुबह के टाइम सूर्य देव की पूजा किया जाता है और शाम के टाइम भी सूर्य भगवान के डूबता हुए की पूजा किआ जाता है । दिवाली के 6 दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है । छठ पूजा 4 दिन तक चलता है जिसमे शुरुआत है नहाय- खाय और खरना से फिर डूबता और उगता सुरदेव को अर्घ्य दिया जाता है , इसमें व्रती महिलाये नदी में कमर तक जल में डूबकर सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करती है । इसी में ही 36 घंटे का निर्जला वर्त रखा जाता है , जो बेहद ही कठिन माना जाता है । पैराणिक मान्यताओं के अनुशार , छठी मैया की पूजा करने से वर्ती को आरोग्यता , सुख – समृध्द , संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है , इस पर्व को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है ।
इतना महत्व कियो होता है छठ पूजा का
ये सभी भारतीयों को मानना चाइये कियोकि छठ पूजा एक ऐसा महापर्व है , जो छठ पूजा अपने आप में विश्वास , श्रध्दा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है । यह पर्व पुरे देश में मनाया जाता है , जैसे की जहा भी छठ पूजा से जुड़े हुए लोग इंडिया में कभी रखते है वे वहा से ही छठ पूजा की पूजा करते है , ज्यादातर छठ पूजा बिहार , झारखण्ड और उतर प्रदेश के कुछ जिलों में मनाया जाता है । छठ पूजा भगवन सूर्य देव और माता छठ मैया की पूजा की जाती है , सूर्य देव को जीवन दाता माना जाता है और छथि मैया को संतान देवी मना जाता है । इस पर्व के माधयम से लोग प्रकति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते है , सूर्य , जल और वायु इन तीनो भगवान की पूजा की जाती है । छठ पूजा करने से स्वास्थ्य और समृध्दि की प्राप्ति होती है , छठ पूजा के दौरान सभी लोग मलकर पूजा करते है , जिसमे हिन्दू की समंजिक एकता बढ़ती है ।
छठ पूजा और छठ मैया की महिमा
छठी मैया पूजा मुख्य रूप से कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मानते है । लेकिन इसके अलावा चैत्र शुक्ल तिथि का छठ पर्व जिसे छठ कहते है । यह भी छठ मैया की पूजा बहुत ह प्रचलित है , इस तरह दो छठ वर्त विशेष रूप से महत्व है । दोनों ही छठ पर्व भगवन सूर्य और माता छठी मैया को समर्पित है । इसलिए छठ पर्व में भगवन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ मैया की पूजा और उनकी कथा की जाती है । छठ मैया की महिमा के बारे में कथा है , की छठ मैया ब्रह्माजी की मानस पुत्री है और सूर्यदेव की बहन है । छठ मैया को संतान की रझा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में बत्तत्या गया है । जबकि सूर्यदेव अन्य और संपत्रता के देवता है । इसलिए जब रवि और खरीफ की फसल काटकर आ जताई है तो छठ का पर्व सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए चैत्र और कार्तिक के महीने में किया जाता है ।
छठ पूजा के 4 दिनों के खास महत्व
छठ पूजा के 4 दिनों के खास महत्व इस प्रकार है , छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है । लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है मतलब छठ पर्व शुरुआती से पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात कद्दू की सब्जी और सरसो का साग एक समय में खाती है , दूसरे दिन खरना किया जाता है जिसमे शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाती है । और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है । तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमे अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है ।
FAQs
1 छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कियो की जाती है ?
छठ पूजा में सूर्य देव को ऊर्जा और सवस्थ का स्रोत माना जाता है , जबकि छठी मैया को संतान सुख और पारिवारिक समध्दि का आशीर्वाद मिलता है । इस पूजा से सकारात्मकता और आत्मिक शुद्धि का अनुभव होता है ।
2 छठ पूजा में ठेकुआ का क्या महत्व है और इसे कैसे बनाया जाता है ?
ठेकुआ छठ पूजा का प्रमुख प्रसाद है , जो गेंहू आटे , गुड़ और घी से बनता है । यह पार्षद परंपरा और शधदता का प्रतीक माना जातात है , और इसे सरदा के साथ बनाया और अर्पित किया जाता है ।
3 क्या छठ पूजा में बिना अन्न और जल के उपवास रखना आवश्यक है ?
जी हां यह उपवास काफी कठिन माना जाता है । संध्या अर्घ्य तक उपवास रखने वाले लोग पानी तक नहीं पिटे है । और पूजा पूर्ण होने के बाद ही प्रसाद खाते है ।
4 छठ पूजा के दौरान सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व क्या है ?
सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर को विटामिन ड्डी मिलता है , जो हडियो और प्रतिरझा प्रणाली के लिए फायदेमंद होता है । इसके अलावा , सूर्य की किरणों का सीधा संपर्क मनोवैज्ञानिक और मानशिक सवस्थ को भी बेहतर बनता है ।
5 क्या छठ पूजा के डोवरां किसी विशेष वस्त्र का नियम है ?
जी हां महिलाये मुख्य रूप से साडी और पुरुष धोती – कुरता पहनते है ।