dscbloger.co.in

dscbloger.com .in

आँख के बारे में

चलिए में आज आप को आँख के बारे में बता देता हु , आँखे जीने हम नेत्र भी कहते है जी हमरे सरीर का वह अंग है , जिसे हम देख सकते है और अच्छे से देख पते है , उनके रियल रंग में उनके रियल आकर में और उनके एडगर पर पहचान लेते है हमरे 5 इंदिरियो में सबसे महतव पुण्ड आँख ही है जो हमें ये दुनिया देखने में सहायता करता है , हमारे सरीर में आँख ही सबसे महत्व पुण्डी है यह हमारे सरीर का वह अंग है जिसकी सहायता से हम रियल चीज़ देख सकते है । ये हमारे सरीर का सबसे छोटा और जटिल अंग है ज्यादा तर सभी आखो का आकर अपने अधिकतम व्यास के साथ 2 से 2.5 सेंटी मीटर होता है जो लगभग 2 मिलियन मूवीज पार्ट से संरचित होती है हमारी आँखे किसी भी एक रंग के 500 से अधिक प्रकार में अंतर कर सकती है में आप को इस पोस्ट में आखो के बारे में साडी जानकारी दूंगा आगे आप पूरा पोस्ट पढ़े ।

आँख क्या है

आँख मानव सरीर का वह छोटा अंग है जो मानव को पूरी दुनिया ,दुनिया के हिसाब से दिखता है , जो प्रकाश के लिए सवदनशील है यह प्रकाश को संसूचित करके तांतिका कोशिका को विद्युत रासायनिक सवेंदो में बदल देता है आँख एक जटिल प्रकाश तंत्र होता है जो आप के नजदीक के वातावरण से प्रकाश को एकत्र करता है और आप के मद्यपः के दौर आँख में प्रवेश करने वाली प्रकाश की तीरवता का नियंत्रण करता है । प्रकाश नेत्रों के लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित करता है आखो का रक् कई प्रकार के होते है जैसे, काळा रंग का भूरी और हरी और लाल रंग की भी होती है ये सभी नेत्र स्ट्रांग होते है

आँख कैसे काम करती है

आँख के काम के बारे में बहुत से एक्सपर्ट ने भी बताया है की , आखो के बारे में सब कहते है की प्रकाश हमरी आखो के वास्तु से परिलछित होता है प्रकाश हमारी कार्निया लेंस से हमरी आखो में प्रवेश करता है आगे की और अंशु के पतले विल के पीछे इस स्पॉट परत से गुजरने से प्रकाश पर केंद्रित करने में मदत मिलता है एक और तरल और परत है जिसे एक्यूस हार्मर कहा जाता है इसका उदेस्य आखो के सामने के हिसे में घूमते और अंदर के दबाव को स्थिर रखना है आँखे आप के प्रकाश के फोकस को पतला और सकलित करता है यह प्रकाश को फोकस करने के लिए एक कैमरा की तरह संचालित होता है आखो के अंदर एक जिली की तरह होती है एक परत , इसमें एक पुतली होता है जो प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है । इसके बाद लेंस आता है ये प्रकाश को फोस करने के लिए कैमरा जैसा काम करता है आँख आप के पाह और दूर के चीज़ को सही दांग से दिखता है ।

आखो की एनाटामी

आखो की एनाटामी जो आप के आखो के लिए बहुत ही फायदे मंद होता है जैसे की इसका सम्बंद अपनी और हमर दरव से है यह पनियुक्त लेंस के चारो और (aibal) के सामने भरता है

बलेड़स्पाट (blindspot ) – यह रेटिना का छोटा सा हिंसा होता है जो प्रकाश के पार्टी सवदेनशील नहीं होता है इसे स्कोटोमा भी कहा जाता है । यह वह स्थान है जहा ऑप्टिक तैतिका रेटिना से जुड़ती है

ब्लेड वेसेल्स ( bled vesels ) – यह तांत्रिकक आप के आखो के लिए बहुत फायदेमन्द है यह आप के ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचने के काम अट्टा है

फॉटरिसेप्टर ( photoreceptors ) – ये 2 भागो में होते है , पहला भाग छाड़ और दूसरा भाग संकु में होता है ये विषेस तंत्रिका छोर है जो आप के प्रकाश को विद्युत रसायनिक संकेतो में पार्वतित करता है ।

रेटिनल पिग्मेंट एपिथेलियम ( retinal pigment epithelium ) – फोटोरिसेप्टर के निचे काळा ऊतक की एक परता होती है , जिसका काम कोशिकाओं का उदेशय ज्यादा प्रकाशः को अवशोशित करना होता है जिससे आप को फोटोरिसेप्टर स्पष्ट संकेत दे सके जो पोषक तत्व को आगे ले जा सके ।

प्रकाश का अपवर्तन

अगर नेत्र की बात करे तो ये आप का नेत्र एक कैमरा की तरह काम करता है इस लेंस को कैमरा और कार्निया भी कहते है और नेतराड़ तथा सांद्र दरव भी कहते है । यह एक आएसा कैमरा है जो आप के अंदर प्रकाश को आरा पर नहीं जाने देता है जो आप के प्रकाश के मात्रा को नियंत्रण भी करता है ज्यादा तर लेंस की वकर्ता परिवर्तन शील भी होती है , जिससे दूर और पाश की चीज़े अशनि से देखि जा सकती है नेत्र पर पड़ने वाली प्रकाश ज्यादातर परकासित झुक कर आप के प्रतिबिंब पर बनती है जो भी प्रकाश अट्टा है उसको प्रकाशवर्तन का मुख्य काम कार्निया करती है , लेंस का भर काम होता है और लेंस का अपरवतनक 1.42 तथा और सभी का 1.33 होता है नेत्र में प्रकाश की किरणे जाना बहुत ही कठिन होता है सरल नेत्र की वर्तनी सकती डायोप्टर होती है अगर लेंस को बहार निकल दे तो नेत्र की वरतनसाक्ति 16 डायोप्टर तक गाठ जाती है ज्यादातर कार्निया आदि से 43 डायोप्टर सकती पर्याप होती है वास्तु के 2 छोर से पर्याप किरणे से ” के ” पर जो कोण बनता है उसे दरसन कोण कहते है । इसे प्रकाश का अपवर्तन भी कहते है ।

आखो की आईरिस

हमारी आखो को आईरिस ही नियंत्रित करता है जब प्रकाश की कितनी मात्रा हमारी आखो में परिवेश करेगी इसे हमरी आखो को आईरिस आखो को शारीरिक रचना में काळा रंग का हिंसा है इसमें कार्निया के ठीक पीछे पतले गोलाकार और अनुदैद्य मासपेशी फाइबर होते है यह हमरे लेंस के सामने एक रंगीन पेशी दयफार्म बनता है जो की केंद्र में एक छिद्र के साथ होता है जिसे पुतली भी कहा जाता है ये फैलता और सुकुद्ता भी है ये आप के आखो में आने वाले प्रकाश को भी कट्रोल करता है ये प्रकाश को काम या ज्यादा रौशनी की अनुमति देता है जो अंदर आने के लिए प्रकाश पर निर्भय करता है एक्यूस हार्मर की परत आईरिस को लेंस के पीछे और कार्निया के सामने चिपके रहने से रोकती है , इसे ही आईरिस कहते है

आँख का लेंस

लेंस एक स्पॉट किस्टलीये ग्लोब है जो रेटिना पर प्रकाश को केंद्रित करता है यह पुतली के खुलने की पिछली साथ को लगभग छूटा भी है ,इसकी प्रकर्ति लगातरा यह सुनिश्चित करने के लिए संशोदित हो जाती है क्योकि रेटिना पर बनने वाला चित्र सपस्ट बने लेजर की सतह से जुडी सिलिअरी मांश पेसिया लेंस को फोकस में बदलने में मदत करती है मांसपेशिया में अनुब्द के रूप में , ये लेंस को अधिक गोल या लम्बे होने का कारण बनते है क्योकि आखो में आने वाले प्रकाश की किरणे अवसक्ता अनुशार काम या ज्यादा झुके यदि ऑब्जेक्ट दूर है , तो लेंस को प्रकाश की किरणों को आदिक तेजी से मुड़ने की जरूरत है क्योकि उसे रेटिना के केंद्र पर गिराया जा सके जिसे आप की दृस्टि तेज हो सके इसी तरह आप को अगर करीब की वास्तु के लिए आप के लेंस लम्बे हो जाते है जिसे प्रकाश की किरणे कम जूके इस तरह आप का लेंस काम करता है ।

आखो का रेटिना कैसे काम करता

आखो की रेटिना का काम एक कैमरा की तरह होता है , जो एक फिल्म की तरह काम करता है ये प्रकाश के प्रति संवेदशील होती है , जो हमारी आखो में अंदरूनी हिस्से को चमक प्रदान करता है । यह प्रकाश को – सवेदी कोशिकाओं से बना होता है जिसे रॉड्स और कोन्स के रूप में जाना जाता है आप को पता है की , मानव के आखो में 125 मिलियन रेड होते है जो मंद वातावरण में देखने के लिए अव्शक होते है जबकि कोण उज्जवल प्रकाश में सबसे अच्छा काम करता है हमरी आखो की सरचना में हमरे पाश लगभग 6-7 मिलियन है ये एक तेज सटीक छवि पर्पट करने के लिए अपर्रिहाय है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *